पुराना गायब हो गया है और एक नया अस्तित्व है, निर्वाण का अर्थ है ज्ञान, अंतिम प्राप्ति की स्थिति
ओशो आत्मज्ञान पर उद्धरण देते हैं जैसे प्रकृति निर्वात से घृणा करती है, भगवान निर्वात से भी घृणा करते हैं. जब शिष्य खाली होने की स्थिति में आ गया हो, बिल्कुल खाली, कृपा उतरती है; एक पूरा हुआ. वह है ईश्वर-प्राप्ति या आत्मज्ञान या निर्वाण; यही तो...